खांगर क्षत्रिय राजवंश की गाथा दर्शाता है गढ़ कुंडार का किला-सुभाष पिंडारी-खांगर क्षत्रिय समाज ने बैठककर यूनेस्को सूची में त्रुटि सुधार की उठाई मांग

खांगर क्षत्रिय राजवंश की गाथा दर्शाता है गढ़ कुंडार का किला-सुभाष पिंडारी
-खांगर क्षत्रिय समाज ने बैठककर यूनेस्को सूची में त्रुटि सुधार की उठाई मांग
जालौन (उत्तर प्रदेश)। अखिल भारतीय खंगार क्षत्रिय समाज ने यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में गढ़ कुंडार किले (निवाड़ी, मध्य प्रदेश) को "बुन्देला राजाओं" के नाम दर्ज किए जाने को ऐतिहासिक भूल बताते हुए इसे खंगार क्षत्रिय राजवंश से जोड़ने की मांग की है। समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष उदय पिंडारी ने चेतावनी दी कि यदि सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन होगा।  
उरई के रामनगर स्थित पिंडारी हाउस में आयोजित बैठक में समाज के नेताओं ने मध्य प्रदेश शासन द्वारा यूनेस्को में भेजे गए प्रस्ताव पर आपत्ति जताई। इसमें गढ़ कुंडार को छोड़कर अन्य 5 स्थल (राजा महल, जहांगीर महल, दतिया पैलेस, झांसी किला और धूबेला पैलेस) बुन्देला राजपूतों की विरासत बताए गए हैं। पिंडारी ने दावा किया कि 11 वीं से 13 वीं शताब्दी तक यह किला खंगार शासकों के अधीन रहा, जो उस समय "जुझौती खंड" (वर्तमान बुन्देलखंड) के शासक थे।  
पिंडारी के अनुसार, किले की स्थापत्य शैली और अभिलेख खंगारों के इतिहास को दर्शाते हैं, न कि बुन्देलों को। उन्होंने कहा, *"यूनेस्को सूची में गलत जानकारी दर्ज होने से समाज में रोष है। हम सरकार से तत्काल संशोधन की मांग करते हैं।"*  
  बैठक में उपस्थित नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि मांग नहीं मानी गई तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस मौके पर भूपत सिंह मास्टर (अकोड़ी), डॉ. ब्रज किशोर सिंह (हरदोई), ज्ञान सिंह खंगार, अमर सिंह, राजकुमार सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

इनपुट--
नितिन कुमार
हिंदी समाचार
जालौन (उत्तर प्रदेश)

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