बंद हुई उरई की हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड कंपनी, सड़क पर आए कर्मचारी
कम्पनी प्रबंधन व यूनियन पर लगाया धोखाधडी का आरोप, सीएम से शिकायत
जालौन(उत्तर प्रदेश)। जालौन के उरई में तीन दशक से संचालित हिंदुस्तान यूनिलीवर शहर लिमिटेड कम्पनी अब बंद हो चुकी है। जिससे कंपनी के सैकड़ों कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। चर्चा थी कि कम्पनी द्वारा कर्मचारियों को अन्य इकाइयों पर स्थानांतरित किया गया है साथ ही जिन कर्मचारियों के कुछ साल ही नौकरी के बचे थे उन्हें एकमुश्त रकम देकर उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। लेकिन यह चर्चा बुधवार को उस समय हवाहवाई साबित हुई जब कम्पनी के करीब आधा सैकड़ा कर्मचारी जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने कम्पनी प्रबंधन व यूनियन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। कर्मचारियों ने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजा है।
डीएम को सौंपे शिकायती पत्र में कर्मचारियों ने बताया कि हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड उरई फैक्ट्री की स्थापना वर्ष 1989 में की गई थी तब से यह कंपनी मुनाफा देती रही। साथ ही कंपनी को भी सब्सिडी का लाभ भी मिलता रहा। बाद में इसका नाम हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड उरई कर दिया गया। हाल ही में मार्च 2025 तक कंपनी सुचारू रूप से चलती रही, अप्रैल माह में कंपनी के प्रबंधक जसवीर सिंह, भरत चौधरी, उत्पल आनंद ने बताया कि उरई फैक्ट्री के लिए उत्पादन मिलना संभव नहीं है, कुछ कर्मचारियों को अन्य प्रदेशों में स्थानांतरण किया जाएगा।जबकि आसपास मौजूद बड़े कारखाने में स्थानांतरण की कोई सूचना नहीं दी गई, कंपनी प्रबंधन का उद्देश्य था कि कर्मचारियों का स्थानांतरण न करके उनकी छटनी कर देंगे।
इस संदर्भ में यूनियन के पदाधिकारियो ने जब प्रबंधन से वार्ता की तो प्रबंधन ने यूनियन के पदाधिकारियों को प्रलोभन देकर अपने पक्ष में ही समझौता करने के लिए तैयार कर लिया। उक्त समझौते की कोई भी सूचना कर्मचारियों को नहीं दी गई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन और यूनिलीवर द्वारा सांठगांठ करके कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
कर्मचारियों ने मांग करते हुए कहा कि जून माह से पूर्ण सेवाकाल तक पूर्ण वेतन के साथ भुगतान किया जाए।और हर माह की भविष्य निधि का हिस्सा भी उनके निधि खाते में जमा किया जाए। साथही बीएसएस के लिए यूनियन पदाधिकारी और प्रबंधन ने मिलकर कर्मचारियों को मजबूर किया और दबाव में लेकर बहुत से कर्मचारियों के जबरन हस्ताक्षर करवा लिए, इस मामले की भी निष्पक्ष जांच की जाए। शिकायती पत्र देते समय कृष्णकुमार शर्मा, वीरेंद्र कुमार सविता, मनोज विश्वरी, कमलेश कुमार, अनिल कुमार, विष्णुकांत त्रिपाठी, शैलेंद्र कुमार प्रजापति, अरुण कुमार तिवारी, मलखान सिंह, महेंद्र सिंह, जयनारायण पाल, लक्ष्मी नारायण वर्मा, कैलाश चंद्र वर्मा, शिव प्रसाद, अनिल कुमार कटियार, रामपाल वर्मा समेत करीब आधा सैकड़ा कर्मचारी मौजूद रहे।
इनपुट-----
नितिन यागिक
हिंदी समाचार
जालौन (उत्तर प्रदेश)
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